वर्ण व्यवस्था : अस्पृश्यता, अत्याचार, शोषण, अशिक्षा, देश की दुर्गति के लिए जिम्मेदार रही है

वर्ण व्यवस्था : अस्पृश्यता की जननी, मानव गरिमा को गहरी ठेस, अमानवीय अत्याचार व शोषण, शिक्षा से वंचित रखने, देश की प्रगति में बाधक होने के साथ साथ विदेशी आक्रांताओ की लूट व भारत में उनके राज के लिए प्रमुखत: जिम्मेदार रही है।

कैसे लिखा है? वह बहुत अंतर करता है

आप चीजों_को_कैसे_लिखते हैं, यह बहुत अंतर करता है। लिखते वक्त शब्दों का चयन व उनसे होने वाले प्रभाव और कुप्रभाव दोनों के बारे में अवश्य विचार करना चाहिए।

रिजर्वेशन के स्थान पर रिप्रजेंटेशन है, ज्यादा उचित, सम्मानजनक और अधिकार दिलाने वाला शब्द

देश के संविधान की मूल भावना है कि देश के हर जाति, धर्म, संप्रदाय व समुदाय के नाागरिक आगे बढ़े और देश के विकास में भागीदार रहे तथा सभी का देश के रिसोर्सेज पर समान रूप से अधिकार है। इसी भावना के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए जिन लोगों का भूतकाल में वर्ण व्यवस्था या उनके स्थानीय होने या अन्य कारणों से शोषण व अत्याचार हुआ है, उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए रिजर्वेशन मुहैया कराया गया।

संपादकीय लेख का पुनर्विचार आवश्यक : गुलाब कोठारी, राजस्थान पत्रिका, दिनांक 28 अप्रैल 2020

वास्तव में आरक्षण सभी के विकास व उत्थान के लिए एक आवश्यक उपाय है और जिन जातियों व समुदायों को आरक्षण मिला है उनकी आजादी के पहले और आजादी के बाद वर्तमान स्थिति से पता चलाया जा सकता है कि आरक्षण एक कितना कारगर उपाय सिद्ध हुआ है।

Bhim Rao

भारत रत्न बाबा सहाब डाॅ भीमराव अम्बेडकर के जीवन से सीखने योग्य महत्वपूर्ण बातें।

भारतीय संविधान के निर्माता, अछूूतों और गरीबों के मसीहा, महििलाओं के उत्थानकर्ता, देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाले, बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर का जीवनकाल तो सामान्य मनुष्य की भांति 65 वर्ष का ही था परंतु उन्होंने अछूतों, गरीब, कमजोर, असहाय, महििलाओं और अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए 65 x 100 = 6500 वर्षों में हो सकने वाले कार्यो से भी कहीं अधिक कार्य किये।

14 अप्रैल 2020 को बाबासाहब डाॅ भीमराव अम्बेडकर की जन्म जयंती के अवसर पर दीप प्रज्वलित करना।

कल 14 अप्रैल 2020 को सम्पूर्ण भारतवर्ष में पहली बार व्यापक स्तर पर भारतरत्न बाबासाहब डॉ भीमराव अंबेडकर की जन्म जयंती के अवसर पर अनेकों लोगों ने घरों में दीप प्रज्वलित किए और खुशियां मनाई। अपने घर पर दीपक जलाए जिन लोगों को ऐसा लगता है कि देश की आजाद Read more…