
Babasaheb Dr.Bhim Rao Ambedkar
14 अप्रैल 2020 : भारतीय संविधान के निर्माता, अछूूतों और गरीबों के मसीहा, महििलाओं के उत्थानकर्ता, देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाले, बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर (14 अप्रैल 1891 से 6 दिसम्बर 1956) की जयंती पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। बाबासाहब का जीवनकाल तो सामान्य मनुष्य की भांति 65 वर्ष का ही था परंतु उन्होंने अछूतों, गरीब, कमजोर, असहाय, महििलाओं और अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए 65 x 100 = 6500 वर्षों में हो सकने वाले कार्यो से भी कहीं अधिक कार्य किये।भारतरत्न बाबा सहाब डाॅ भीमराव अम्बेडकर के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर ऐसे महापुरुष को सत् सत् नमन व उनके जीवन से सीखने योग्य महत्वपूर्ण बातें।
1. उद्देश्य के प्रति समर्पण : जीवन में बड़ा उद्देश्य तय करें एवं विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ने के लिए कठोर परिश्रम व लगन के साथ मुख्य तय उद्देश्य पर टिके रहने की आवश्यकता है। परेशानियों के आने पर उद्देश्य से नहीं भटकना चाहिए।
2. लीडरशिप : संविधान बनाते समय यदि कन्स्टिट्यूेन्ट असेम्बली में वे लीडर का रोल नहीं लेते तो जो वे चाहते थे वह संविधान में प्रविष्ट नहीं हो पाता। अत: जब भी टीम में काम करने का मौका मिले तो अग्रणी रोल रखने की जरूरत है।
3. स्पेशियलाईजेशन : अपने क्षेत्र में मेहनत व परिश्रम करके दक्षता हासिल करें ताकि दूसरे लोग उस क्षेत्र विशेष में आपका आदर करें।
4. निडरता : साईमन कमिशन के वक्त उनको देश द्रोही तक करार दे दिया गया व पूना पैक्ट से पूर्व जब गाँधी जी भूख हड़ताल पर थे तब लोगों ने उन्हें जान से मारने तक की धमकी दी थी। परन्तु वे कमजोर वर्ग के हित में उनकी माँगो पर अडिग रहे।
5. निस्वार्थता : पढाई के पश्चात बाबा साहब जब अमेरिका से वापस भारत लौट रहे थे तब उनको पता था कि भारत में उनके साथ कैसा व्यवहार होने वाला है, बडौदा में नौकरी करते वक्त रहने का ठिकाना तक नहीं मिल पायेगा और चपरासी भी पानी नहीं पिलायेगा। फिर भी देश व समाज सेवा के लिए वे भारत आये। सामान्य व्यक्ति भारत आने की बजाय पत्नि व बच्चों को अमेरिका ले जाता एवं आराम से इज्जत की जिंदगी जीता। परन्तु बाबा सहाब ने निस्वार्थता का परिचय दिया और उन्होंने समाज सेवा हेतु आराम को त्यागकर कठिनाई भरी राह चुनी।
6. पहचान नहीं छिपाई व अपने लोगों के साथ साथ कमजोर की वकालत : बाबा सहाब ने जीवन में कभी भी स्वयं की पहचान नहींं छिपाई, हमेशा कमजोर के जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश की। उन्होंने न केवल अछूतों बल्कि मजदूरों व महिलाओं के लिए क्रमशः निर्धारित ड्यूटी आवर्स व हिन्दू कोड बिल बनाया। पिछडो की उन्नति हेतु संविधान में आरक्षण सहित अनेक प्रावधान किये।
7. योग्यता के स्तर का काम : सामन्यतः व्यक्ति उनकी योग्यता से छोटा काम करते हैं क्योंकि वे कार्य उनको आसान लगते हैं। परन्तु सोचो यदि बाबाासाहब संविधान लिखने की वजाय उनकी जाति के लोगों की भांति सामान्य काम करने मेंं लग जाते तो क्याा होता? इस बात को ध्यान में रखते हुए पढ़े-लिखे और अनुुुभवी लोगों उनकी योग्यता व अनुभव के अनुरूप ही कार्य करने चाहिए।
8. बदले की भावना नहीं रखी: उनको जीवन में अनेको बार जाति के आधार पर घोर अपमान सहना पड़ा परन्तु उन्होनें कभी भी ऊँची जाति के लोगो को नुकसान नहीं पहुँचाया।
9. Work hard with full devotion and sincerity, learn skills and become masters in your areas, do not use Babasahab’s name like carpet to hide inefficiencies.
10. Do not discriminate on the basis of caste, religion etc., try to understand back ground of a person. Software depends on upbringing.
11. Remember face of Babasahab in any adversity, one can definitely find out some solution.
उक्त तो कुछ ही पहलू है उनके व्यक्तित्व को समराईज करना आसान नहीं है।
रघुवीर प्रसाद मीना
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आरक्षण की आवश्यकता के बारे में तथ्यात्मक जानकारी – Welcome to Aravali Vichar Manch · May 7, 2020 at 8:48 pm
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